Tuesday 14 August 2018

मौजूदा SC ST ACT को जनता के समक्ष विपक्ष द्वारा विरोधाभास और सच्चाई।।।।

Sc/St Act का अगर विरोध करना ही है तो पहले POA यानी कि Prevention of Atrocity Act 1989 (अत्याचार की रोकथाम) समझना होगा।
आप किसी राजनीतिक पार्टी का चश्मा उतार के देखेंगे तब समझ मे आ जायेगा। इस ऐक्ट से किसी दलित या किसी सवर्ण का कोई नुक्सान नही है यहां सिर्फ एक हिंदू भाई परेसान हो रहा था उसके रोकथाम के लिये कानून लाया गया। और इस कानून में ये कहां लिखा है कि सिर्फ सवर्णों को सजा देना है।

#DevideAndRule ये बिल्कुल सत्य लगता है मुझे कुछ जानकारी देनी है कि किस तरह से हिंदू बाहुल्य समुदाय को कमजोर किया गया और फिर उल्टे हम पर ही राज किया गया है।

भारत की 2011 की जनगणना  के अनुसार हिन्दुवों की घटती संख्या और उनका वर्चस्व के आकड़े देखेंगे तो पता चलेगा की हिंदू हित को ध्यान में न रखते हुये हमने अपनी अपनी जातियों के हितों को ज्यादा ऊपर रखा उसी का परिणाम है ये कि जातियों के आधार पे पार्टीयोँ का उदय हुआ।

जातिगत राजनीति से भारत और विशेषकर हिंदू आबादी कमजोर होती चली गयी, हम क्यों न अपने अहंकार को त्यागकर सिर्फ अपने हिंदुस्तान को हिंदू भाईयों के सशक्तीकरण को ध्यान में क्यों नही रखते है?

भारतीय हिंदुओं की कुल जनसंख्या 1,056,360,000 (2016)

सबसे कम आबादी के राज्य।
जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप द्वीप समूह, पंजाब, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड ।

हिंदू की मिश्रित आबादी के राज्य।
कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू और त्रिपुरा।
हिंदू बाहुल्य आबादी के राज्य

बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और उत्तराखंड।

क्या है SC-ST एक्ट?

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया.

इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए. इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके।

क्यों बनाया गया था ये एक्ट?

1955 के 'प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट' के बावजूद सालों तक न तो छुआछूत का अंत हुआ और न ही दलितों पर अत्याचार रुका. यह एक तरह से एससी और एसटी के साथ भारतीय राष्ट्र द्वारा किए गए समानता और स्वतंत्रता के वादे का उल्लंघन हुआ. देश की चौथाई आबादी इन समुदायों से बनती है और आजादी के तीन दशक बाद भी उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति तमाम मानकों पर बेहद खराब थी.

ऐसे में इस खामी को दूर करने और इन समुदायों को अन्य समुदायों के अत्याचारों से बचाने के मकसद से इस एक्ट को लाया गया. इस समुदाय के लोगों को अत्याचार और भेदभाव से बचाने के लिए इस एक्ट में कई तरह के प्रावधान किए गए.

क्या है इस एक्ट के प्रावधान?

एससी-एसटी एक्ट 1989 में ये व्यवस्था की गई कि अत्याचार से पीड़ित लोगों को पर्याप्त सुविधाएं और कानूनी मदद दी जाए, जिससे उन्हें न्याय मिले. इसके साथ ही अत्याचार के पीड़ितों के आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास की व्यवस्था की जाए.

इस एक्ट के तहत मामलों में जांच और सुनवाई के दौरान पीड़ितों और गवाहों की यात्रा और जरूरतों का खर्च सरकार की तरफ से उठाया जाए. प्रोसिक्यूशन की प्रक्रिया शुरू करने और उसकी निगरानी करने के लिए अधिकारी नियुक्त किए जाए. और इन उपायों के अमल के लिए राज्य सरकार जैसा उचित समझेगी, उस स्तर पर कमेटियां बनाई जाएंगी. एक्ट के प्रावधानों की बीच-बीच में समीक्षा की जाए, ताकि उनका सही तरीके से इस्तेमाल हो सके. उन क्षेत्रों और पता लगाना जहां एससी और एसटी पर अत्याचार हो सकते हैं और उसे रोकने के उपाय करने के प्रावधान किए गए।

जब हम इतिहास उठा करके देखेंगे तो पता चलेगा कि किस तरह से समाज मे बुराईयां थी, हमने खुद अपने आप को कमजोर किया है और उसके लिये न तो सवर्ण दोषी और न ही हमारे दलित भाई दोषी है। तो केन्द्र सरकार को हिंदू समाज पे अत्यचार की रोकथाम के लिये कानून लाना बिल्कुल सही है।

हमारे पुराण और देवी देवताओं की कहानियों मे समरसता की भावना के साथ साथ मनुष्य का कल्याण का उल्लेखनीय है।
हमारे ऋषि मुनियों ने सिर्फ और सिर्फ विद्वता को ही अपना पहचान बनाया। आज इस्लाम और मिशनरी लगातार हिंदू भावनावों के उपर कुठाराघात किया गया।
आज जब समस्त धर्म सम्प्रदाय के लोग सिर्फ अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने मे व्यस्त है तब ठीक उलट हम अपने धर्म को कमजोर कर रहे हैं।
कुछ दिनों पहले जब मैने अपने फेसबुक पेज पर दिलीप हिंदू शब्द जोड़ा तो सबसे ज्यादा चोरी छिपे विरोध होता रहा कि मैं अपना जाति के खिलाफ कर रहा हूँ।
लेकिन मेरा मानना है कि जाति नही धर्म प्रथम होना चाहिये जिससे हमारी पहचान और व्यापक होगी।

#मायावती #अखिलेश_यादव और #कांग्रेस पार्टी के खिसकते जनाधार के कारण ये एक सोची समझी सजिश के तहत पहले दलित भाईयों पे अत्याचार की निराधार खबरें फैलायी गयी फिर सरकार ने जब उस फैसले को दोबारा लागू करवा दिया जिसको ध्वनि मत से पारित कर दिया गया, इसका मतलब सभी पार्टी ने मिलकर और एक मत से पारित कराया तो भाजपा के उपर आरोप क्यों लगाया जा रहा है। और जब सरकार ने सर्व सम्मति से पारित करवा लिया, तो विपक्ष द्वारा लगाया गया आरोप खारिज हो गया,  तो अब निराधार खबरें फैलायी जा रही है कि सरकार ने सवर्णों के विरोध मे SC ST ACT में संशोधन किया।
अब लगातार विपक्ष के ठेकेदार लोग जिनको कोई राजनीतिक समझ नही है केन्द्र सरकार को सवर्णों के खिलाफ साबित करने में लगे है।
तो जनता को फैसला करना है कि अगर शरीर के किसी अंग मे तकलीफ है तो उसकी रक्षा करनी चाहिये इससे दुसरे किसी अंग को तकलीफ देने का प्रश्न ही नही होता है।

एक बात स्पष्ट कर दूँ कुछ तथकथित चाटुकार नेता जो POA ACT 1989 की तुलना मण्डल आयोग से कर रहे है तो उनको कोई विषय की जानकारी नही है। दोनो कानून बहुत भिन्न है।

सादर साभार
आपका
दिलीप

Email id- erdileepshukla@gmail.com

Saturday 21 April 2018

भारत सरकार ने 12 साल से कम की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में फांसी को मंजूरी दे दी है

भारत सरकार ने 12 साल से कम की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में फांसी को मंजूरी दे दी है। निजी तौर पर मैं 2 मामलों-आतंकवाद और दुष्कर्म- के अलावा फांसी के विरोध में हूं। इस नए कानून में सबसे जरूरी बात जो शामिल की गई है कि, 2 महीने में जांच पूरा करना होगा और अगले 2 महीने में न्यायिक प्रक्रिया। अपील की प्रक्रिया भी 6 महीने से ज्यादा नहीं खींची जा सकेगी। 

Monday 2 April 2018

Savitribai phule

आदरणीया सावित्री बाई फुले जी अगर आपको इतनी ही राजनीति चमकानी है तो ये बात आप भीमराव अंबेडकर जी से पूछती कि आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए क्यों किया गया था।
आपको खुला चैलेंज है कि आप डिबेट करो मुझसे आरक्षण के ऊपर, आप जैसे लोगो ने सिर्फ दलितों का शोषण किया है और कुछ नही है।
अगर आरक्षण लेना ही है तो आप आर्थिक आधार पर लीजिये, और आरक्षण आपका अधिकार नही खैरात है इसको आप अपने दिमाग मे फीड कर लीजिए।
गरीबी जाति देख कर नही आती है, आप बाबा साहेब के नाम पर राजनीति करना बंद ककर दीजिये, आरक्षण पे एक सर्वे करवा लीजिये पिछले 70 सालों में हम कहा थे और कहा आ गए है, और कितने दिन आप सवर्णो की उंगली काटती रहोगी, अगर प्रतिभा है तो उसका मापदंड भी एक ही होना चाहिए।
आप सुविधा लीजिये, और आप प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की वकालत करेंगी, शर्मनाक बयान है आपका, आप महिला होकर के ऐसे शर्मनाक बयान के लिए माफी मांगिये।

और आपको जानकारी दे दू, खून की नदियां अगर देखनी है तो इस्लामिक देश चले जाएं आप, क्योकि आप से जनता इससे ज्यादा कुछ अपेक्षा भी नही कर सकती है।।
आपपे मुकदमा दर्ज होने चाहिए।।।

Saturday 20 January 2018

स्वच्छता- एक सार्थक प्रयास

           "बाहर भी दिखाएंगे अपने घर वाले संस्कार
            तभी होगा स्वच्छ भारत का सपना साकार "

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू करने वाली कई पहलुओं में से, जो 2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर स्वच्छ भारत का उपहार देंगे, सभी भारतीयों के जीवन को बदलने की सबसे बड़ी क्षमता है - अमीर और गरीब हाल के दिनों में स्वच्छता लगभग हर सरकार का विषय रही है ।
प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम और प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 1999 में पूर्ण स्वच्छता अभियान शुरू किया था। लेकिन पिछले सरकार ने मोदी जी द्वारा प्रदर्शित किए गए संकल्प और प्रतिबद्धता को नहीं दिखाया है। इस बार यह वास्तविक महसूस करता है

अब तक, व्यापक सड़कों और जल निकासी के खुले मुंह आज  समाप्त होने पर मीडिया केंद्र मंच पर कब्जा कर लिया गया है। लेकिन स्वच्छ भारत के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण पाइप लाइन से पानी तक पहुंच है; सभी शहरों और गांवों में अच्छी तरह से काम कर रहे जल निकासी, सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन; तालाबों का उन्मूलन जिसमें स्थिर पानी एकत्र करता है और बैक्टीरिया और मच्छरों की मेजबानी करता है; जनता के बीच सभी पहलुओं में स्वच्छता की अधिक सराहना करते हुए।
दरअसल, इस अभियान को अपने तर्कसंगत निष्कर्ष पर ले जाने के लिए झुग्गी की जगहों के साथ अधिक विस्तृत आवास वाले पाइप से पानी की डिलीवरी और आधुनिक सीवेज की सुविधा की आवश्यकता होगी।

           "करें प्रतिज्ञा रखेंगे स्वच्छता का ध्यान
           तभी बनेगा अपना भारत महान "

खुले शौच को खत्म करने के लिए बहुत ही तीव्र गति पर शौचालयों के निर्माण की आवश्यकता होती है जबकि घरों को वास्तव में उनका इस्तेमाल करने के लिए राजी कराना दृढ़ संकल्प से एक चुनौती साबित कर दी है, पुरानी आदतें जो भी है कि "खाना और सौच एक साथ एक ही जगह पे सही नही" ये सब छोड़ना होगा।

1925 में महात्मा गांधी ने ठीक उसी तरह लिखा था, "मैंने 35 साल पहले सीखा था कि एक शौचालय एक ड्राइंग रूम के रूप में साफ होना चाहिए। मैं पश्चिमी देशों में यह सीखा है मुझे विश्वास है कि शौचालयों में स्वच्छता के बारे में कई नियम भारत देश की तुलना में पश्चिमी देशों  में अधिक स्वाभाविक रूप से माने जाते हैं।

खुले शौच के खतरों पर नागरिकों को शिक्षित करना पर्याप्त नहीं है; हमें शौचालयों का निर्माण भी करना चाहिए जो पीछे हटाना नहीं चाहते हैं लेकिन शौचालय के लिए बड़ा खर्च और घरों में पानी की विश्वसनीय आपूर्ति की आवश्यकता होगी।

स्वच्छ भारत का पीछा करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना भी आवश्यक है। अच्छी जल-निकासी व्यवस्था, दलदलों और तालाबों की अनुपस्थिति जैसी सेवाएं, घरों के पास स्थिर जल के लिए, और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति - जो सभी रोगों के जोखिम को कम करते हैं और फैलते हैं ।
प्रभावी सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता हैं फिर भी, जैसा कि किसी भी शहर या गांव का आकस्मिक दौरा भी स्पष्ट होता है, भारत में स्वच्छता प्रणाली और स्वच्छता के सामान्य मानकों के बीच खराब रहता है।

स्वच्छ भारत बनने के लिए प्रत्येक राज्य को एक अलग सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को पुनरारंभ करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण के लिए जवाबदेह है। विभाग के पास एक स्वतंत्र बजट और सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग सेवाओं का प्रभार होना चाहिए जो कीटाणु प्रजनन, ठोस कचरे, पानी की आपूर्ति और Sewage Treatment Plant  को स्थापित करना और उसका समुचित उपयोग होना चाहिए।

अंतिम विचार के रूप में, मैं यह बताना चाहता हूँ कि यह महत्वपूर्ण है कि मोदी जी जन जागरूकता अभियान को उच्च स्तर पर बनाए रखता है, जब तक कि इसका लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता।
टेलीविजन और रेडियो पर भाषण और विज्ञापनों के माध्यम से, उन्हें लगातार नागरिकों को अपनी आदत बदलने के लिए प्रेरित करना। उन्हें राज्य के मुख्यमंत्रियों, सभी दलों और फिल्मों और खेल सितारों के प्रमुख राजनेताओं को भी ऐसा करना चाहिए।

सभी टीवी चैनलों को मेडिकल और संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों के कार्यक्रमों को प्रसारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जो सभी नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खराब व्यक्तिगत स्वच्छता, कूड़े और खुले शौच को नुकसान पहुंचाते हैं। ग्रामीण लोगों को भी पशुओं के साथ रहने के लिए स्वास्थ्य खतरे से अवगत कराया जाना चाहिए, जो स्वाभाविक रूप से खुले में शौच करता है।

यदि हम इस अभियान को युद्ध के स्तर पर रखते हैं, जैसे हमने एक बार पोलियो का उन्मूलन किया था, तो हम निश्चित रूप से भारत के हर नागरिक के लिए महात्मा के 150 वें जन्मदिवस को यादगार दिन बना सकते हैं।

दोस्तों खुले में शौच से मुक्ति तभी मिलेगी जब हम अपने समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।
और जिनके घरों में शौचालय नही है वो अगर सुखी सम्पन्न है तो खुद बनवाये नही तो अपने ग्राम प्रधान और क्षेत्रीय विधायक गण को लिखित सूचना दिया जा सकता है। और उप जिला अधिकारी को भी पत्र दिया जा सकता है कि जिससे सरकारी व्यवस्था को विकास के कार्यों की समीक्षा की जा सके
देश तभी आगे बढ़ेगा जब वहाँ की जनता अपने देश के साथ कंधे से कंधा मिला के चल सकेगा।

नीचे 👇 दिए गए लिंक पर क्लिक करके फ्री में शौचालय बनवाने के लिए आवेदन करने की कार्यविधि दिया हुआ है।
http://www.pradhanmantriyojana.in/apply-online-free-latrine-scheme-sauchalya-yojana/

और ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए क्लिक करें 👇

http://swachhbharaturban.gov.in/ihhl/InvestorRegistration.aspx

http://swachhbharatmission.gov.in/sbmcms/index.htm
आपको जानकारी कैसी लगी कमेंट जरूर करें और हमसे जुड़ने के लिए दिए गए फॉर्म को जरूर भरें।।
जय हिंद जय भारत

                       "स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत"

आपका
दिलीप शुक्ल
गोण्डा, उत्तर प्रदेश

NDTV EXPOSED ON LIVE TV

दोस्तों कुछ देश विरोधी लोग दिल्ली में इकट्ठे हुए जिस तरह से उनका प्रश्न था उसका उत्तर कोई भी लोकतंत्र में रहने वाला जवाब दे सकता था उन्हें लेकिन अब प्रश्न उठता है कि क्या उनका देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होना और जनता को मूर्ख समझना, उनका सबसे बड़ा दिवालियापन है।

सबसे बड़ी देखने की बात ये है कि #NDTV  जैसे टेलीविजन के न्यूज़ एंकर खुले आम #कन्हैयाकुमार जैसे देशद्रोही को ऑन स्क्रीन शो पर बैठाती है और खुद उसके मुंह मे शब्द डालती है।
तो अब जनता को निर्णय लेना है कि ऐसे न्यूज़ चैनल का वहिष्कार होना चाहिए या नही।

#DileepShukla

Thursday 18 January 2018

हम जैसे चलते है, तुम भी चलो न!!!!!!

दोस्तों हम सभी इस धरती संसार में है उसका कोई न कोई उद्देश्य होता है। ऐसे ही ये गीत बहुत ही सुंदर मनमोहक है।।


हम जैसे चलते है,तुम भी चलो न!हम जैसे रहते हैं,तुम भी रहो न!!
नदियां यूं बहती है,कंकड़ पत्थर बहते है!
बहते बहते वो तो सागर मे मिल जाती हैं!!
नदियां ये कहती है तुम भी बहो न !हम जैसे बहते है,तुम भी बहो न!!
हम जैसे..…...…................!!!
पत्थर की ये मूरत देखो,पहले तो ये पत्थर थी !
घावों को सहते सहते,मूरत बन गयी ये देखो!!
मूरत ये कहती है तुम भी बनो न ! हम जैसे सहते है तुम भी सहो न!!
हम जैसे.....…...................!!!
नन्हे नन्हे दीपक देखो,जगमग जगमग करते है!
खुद को जलाकर ये, अन्धेरा दूर करते हैं!!
दीपक ये कहते है,तुम भी करो न! हम जैसे जलते है,तुम भी जलो न!!
हम जैसे............................!!!

धन्यवाद
दिलीप शुक्ल 

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